विशेष बच्चे लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
विशेष बच्चे लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, अप्रैल 02, 2013

Autism ऑटिज्म क्या है?



ऑटिज्म

ऑटिज्म क्या है?
ऑटिज्म एक मानसिक विकार है. हिन्दी में ऑटिज्म को 'आत्मविमोह' या 'आत्मकेन्द्रन' कह सकते हैं। जिसके लक्षण जन्म से या बाल्यावस्था से ही नज़र आने लगते है। जिन बच्चो में यह रोग होता है उनका विकास अन्य बच्चो से असामान्य होता है ।
ऑटिज्म को कैसे पहचाने?
बाल्यावस्था में सामान्य बच्चो एवं ऑटिस्टिक बच्चो में कुछ प्रमुख अन्तर होते है जिनके आधार पर इस अवस्था की पहचान की जा सकती है जैसे:-

1.सामान्य बच्चें माँ का चेहरा देखते है और उसके हाव-भाव समझने की कोशिश करते है परन्तु ऑटिज्म से ग्रसित बच्चे किसी से नज़र मिलाने से कतराते है। 
2.सामान्य बच्चे आवाजे सुनने के बाद खुश हो जाते है परन्तु ऑटिस्टिक बच्चे आवाजों पर ध्यान नही देते।
3।सामान्य बच्चे रे-धीरे भाषा ज्ञान में वृद्धि करते है परन्तु ऑटिस्टिक बच्चे बोलने के कुछ समय बाद अचानक ही बोलना बंद कर देते है तथा अजीब आवाजें निकलतें है।
4.सामान्य बच्चे माँ के दूर होने पर या अनजाने लोगो से मिलने पर परेशान हो जाते है परन्तु ऑटिस्टिक बच्चे किसी के आने-जाने पर परेशान नही होते।
5.ऑटिस्टिक बच्चे तकलीफ के प्रति कोई क्रिया नही करते और बचने की भी कोशिश नही करते। 
6.सामान्य बच्चे करीबी लोगो को पहचानते है तथा उनके मिलने पर मुस्कुराते है लेकिन ऑटिस्टिक बच्चे कोशिश करने पर भी किसी से बात नही करते वो अपने ही दुनिया में खोये रहते है । 
7.ऑटिस्टिक बच्चे एक ही वस्तु या कार्य में मग्न रहते है तथा अजीब क्रियाओं को बार-बार दुहराते है जैसे: आगे-पीछे हिलना, हाथ को हिलाते रहना।
8.ऑटिस्टिक बच्चे अन्य बच्चों की तरह काल्पनिक खेल नही खेल पाते वह खेलने के वजाय खिलौनों को सूंघते या चाटते है। 
9.ऑटिस्टिक बच्चे बदलाव को बर्दास्त नही कर पाते एवं अपने क्रियाकलापों को नियमानुसार ही करना चाहते है।
10.ऑटिस्टिक बच्चे बहुत चंचल या बहुत सुस्त होते है।
11.इन बच्चो में कुछ विशेष बातें होती है जैसे एक इन्द्री का अतितीव्र होना जैसे: श्रवण शक्ति।

ऑटिज्म होने के क्या कारण है?
ऑटिज्म होने के किसी एक वजह को नही खोजी जा सकी है। अनुशोधो के अनुसार ऑटिज्म होने के कई कारण हो सकते है जैसे:
1.मस्तिष्क की गतिविधियों में असामान्यता होना।
2.मस्तिष्क के रसायनों में असामान्यता होना।
3.जन्म से पहले बच्चे का विकास सामान्य रूप से न हो पाना।


ऑटिज्म का क्या इलाज़ है?
ऑटिज्म की शीघ्र की गई पहचान, मनोरोग विशेषज्ञ से तुंरत परामर्श ही इसका सबसे पहला इलाज़ है।
 कुछ वास्तव में काम करने वाली संस्थाए इसमें जरूर मदद कर सकती हैं।

ऑटिज्म से ग्रसित बच्चो को निम्नलिखित तरीको से मदद की जा सकती है?
1.शरीर पर दवाव बनाने के लिए बड़ी गेंद का इस्तेमाल करना।
2.सुनने की अतिशक्ति कम करने के लिए कान पर थोडी देर के लिए हलकी मालिश करना।
3.खेल-खेल में नए शब्दों का प्रयोग करे।
4.खिलौनों के साथ खेलने का सही तरीका दिखाए।
5.बारी-बारी से खेलने की आदत डाले।
6.धीरे-धीरे खेल में लोगो की संख्या को बढ़ते जाए।
7.छोटे-छोटे वाक्यों में बात करे।
8.साधारण वाक्यों का प्रयोग करे।
9.रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले शब्दों को जोड़कर बोलना सिखाए ।
10.पहले समझना फिर बोलना सिखाए।
11.यदि बच्चा बोल पा रहा है तो उसे शाबाशी दे और बार-बार बोलने के लिए प्रेरित करे।
12.बच्चो को अपनी जरूरतों को बोलने का मौका दे।
13.यदि बच्चा बिल्कुल बोल नही पाए तो उसे तस्वीर की तरफ इशारा करके अपनी जरूरतों के बारे में बोलना सिखाये।
14.बच्चो को घर के अलावा अन्य लोगो से नियमित रूप से मिलने का मौका दे।
15.बच्चे को तनाव मुक्त स्थानों जैसे पार्क आदि में ले जाए
16.अन्य लोगो को बच्चो से बात करने के लिए प्रेरित करे।
17.यदि बच्चा कोई एक व्यवहार बार-बार करता है तो उसे रोकने के लिए उसे किसी दुसरे काम में व्यस्त रखे।
18.ग़लत व्यवहार दोहराने पर बच्चो से कुछ ऐसा करवाए जो उसे पसंद ना हो।
19.यदि बच्चा कुछ देर ग़लत व्यवहार न करे तो उसे तुंरत प्रोत्साहित करे।
20.प्रोत्साहन के लिए रंग-बिरंगी , चमकीली तथा ध्यान खींचने वाली चीजो का इस्तेमाल करे।
21.बच्चो को अपनी शक्ति को इस्तेमाल करने के लिए उसे शारिरीक खेल के लिए प्रोत्साहित करे।
22.अगर परेशानी ज्यादा हो तो मनोचिकित्सक द्वारा दी गई दवाओ को प्रयोग करे।
ऑटिज्म के लक्षण दिखने पर किससे मदद मांगे?
ऑटिज्म एक आजीवन रहने वाली अवस्था है जिसके पूर्ण इलाज़ के लिए यहाँ-वहां भटक कर समय बरबाद ना करे बल्कि इसके बारे में जानकारी जुटाए तथा मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक से संपर्क करे।
शुभदा जैसी  संस्थाए इसमें जरूर मदद कर सकती हैं। 
क्या ऑटिज्म से ग्रसित  बच्चा कभी ठीक हो पता है?
ऑटिज्म एक प्रकार की विकास सम्बन्धी बीमारी  है जिसे पुरी तरह से ठीक नही किया जा सकता लेकिन सही प्रशिक्षण व परामर्श से रोगी को बहुत कुछ सिखाया जा सकता है जो उसे रोज के कामो में उसकी देख-रेख में मदद करता है।
क्या ऑटिज्म से ग्रसित व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है?
ऑटिज्म से ग्रसित 70% व्यक्तियों में मानसिक मंदता पायी जाती है जिसके कारण वह एक सामान्य जीवन जीने में पुरी तरह समर्थ नही हो पाते परन्तु अगर मानसिक मंदता अधिक न हो तो ऑटिज्म से ग्रसित व्यक्ति बहुत कुछ सिख पाता है। कभी-कभी बच्चो में ऐसी काबिलियत भी देखी जाती है जो सामान्य व्यक्तियों के समझ और पहुँच से दूर होता है। 
-शुभदा स्कूल  


सोमवार, दिसंबर 06, 2010

चमत्कार से भरपूर होते हैं विशेष बच्चे

किसी को कैलेंडर मुंहजुबानी याद है, तो कोई स्केट का बादशाह और कोई पेंटिंग के जरिए जाहिर करता है अपना एक्स्ट्रॉऑर्डिनरी टैलेंट
बच्चों का काम बच्चे ही करें तो बेहतर है, लेकिन बड़े बड़ों का काम अगर वे चंद सैकंड में कर दें तो कहलाएंगे न स्पेशल। जयपुर शहर के एनजीओज में पढ़ाई और ट्रेनिंग कर रहे इन स्पेशल चिल्ड्रन का एक्स्ट्राऑर्डिनरी टैलेंट किसी अजूबे से कम नहीं। पिछले दिनों स्पेशल चाइल्ड के लिए शुरू हुई डिस्ट्रिक्ट लेवल स्पोट्र्स मीट में जब इन से मुखातिब हुए तो इनकी काबिलियत का अंदाजा लगा। हर के पास ऐसा हुनर था, जो आश्चर्यचकित कर गया। इनकी यह काबिलियत इन्हें वाकई स्पेशल बनाती है। जिसका शायद उन्हें भी कभी अंदाजा नहीं था।

अमित है या कैलेंडर
पिछले साल आपका जन्मदिन किस वार को था और अगले साल कौनसे वार को पड़ेगा, यह निर्मल विवेक स्कूल के स्टूडेंट अमित गुप्ता से चुटकियों में जान सकते हैं। उन्हें सन 2009, 2010 और 2011 का कैलेंडर बिना किसी कैल्कुलेशन मुंह जबानी याद है। वे किसी भी महीने की कोई भी तारीख का वार एक सैकंड के अंदर बता देते हैं। पिता अशोक गुप्ता बताते हैं, 6 साल के अमित को फीवर के बाद माइनर फिट्स आते थे। अवेयरनैस की कमी के चलते उसकी यह बीमारी बढ़ती गई, लेकिन इसकी याद करने की क्षमता ने इस बीमारी पर विजय पा ली और इसमें ये हुनर डवलप होने लगा।


बने रहना है नंबर वन

उंगलियों से हर टूर्नामेंट के लिए पूछे गए सवाल के जवाब में बस नंबर 1 का ही इशारा मिल रहा था। जब उससे इशारों में ही पूछा गया कि तुम आगे क्या नया करना चाहती हो? तो उसकी वही एक उंगली नंबर वन के लिए सामने आई। यह थीं अपने अधिकांश टूर्नामेंट्स में गोल्ड जीतने वाली ऑल राउंटर शतरंज और कैरम खेलने वाली अंजू जांगिड़। बोल और सुन नहीं पाने का दुख अंजू को जरूर होगा, लेकिन किसी भी अन्य खिलाड़ी से ज्यादा उनकी आंखों में जीतने की खुशी है। अंजू हैदराबाद, इंदौर और बैंगलुरू में हुए शतरंज टूर्नामेंट में गोल्ड जीत चुकी हैं। वहीं कैरम कॉम्पिटीशन में भी मुंबई में उसने गोल्ड पर कब्जा जमाया था।

नॉन स्टोप पेंटिंग
फ्री हैंड स्केचिंग (बिना रुके और काट-छांट) बनाने वाली प्रयास संस्थान की रहनुमा को सुनने में दिक्कत है। उन्हें इस टैलेंट के लिए इंडियन काउंसिल की ओर से बाल भवन में सिल्वर मैडल से नवाजा है। प्राइज डिस्ट्रिब्यूशन थीम पर बनाई गई पेंटिंग ने लोगों को काफी इम्प्रैस किया, जिसकी वजह से उन्हें ये अवॉर्ड मिला। इंस्ट्रक्टर ऊषा गौतम के अनुसार, रहनुमा की इस गॉड गिफटेड क्रिएटिविटी को अच्छे मंच पर ले जाने के लिए प्रयासरत हैं।