गुरुवार, मार्च 18, 2010

.....तब तो यह आपके लिए नहीं।

क्या आप कभी किसी मानसिक विकलांग बच्चे से रूबरू हुए हैं?...... अगर सोशल मीडिया के ब्लॉगरों की दुनियां में आप केवल मनोरंजन के साधन ही खोजते हैं तो यह नीरस ब्लॉग आपके लिए कतई नहीं है। यह कड़वा सच है कि अधिकांश के लिए यह माध्यम मनोरंजन का साधन ही है, तो कुछ के लिए अपनी भड़ास निकाल कर आत्ममुग्ध होने का साधन। मुझे लगा कि मनोरंजन के साथ कुछ सामाजिक सरोकार भी होते हैं। इसके जरिए कुछ सामाजिक समस्याओं की ओर ध्यान खींच कर उनके निदान ढूंढ़े जा सकते हैं। लेकिन मेरा यह विचार एक हद तक ख्याली पुलाव ही साबित हुआ।
यही कारण रहा कि मैं हताश होकर लगातार कई-कई दिनों तक ब्लॉग की इस दुनियां से लापता रही। ब्लॉगर भाई-बंधु गर्भावस्था के दौरान रखी जाने वाली सावधानियां पढ़ते समय भी मनोरंजन या कौतुक की तलाश में ही नजर आए। इस संबध में लिखे आधा दर्जन से अधिक लेखों में केवल उसी एक लेख को पाठक मिले जिसमें गर्भावस्था के दौरान सैक्स के संबंध में चर्चा की गई। ऐसे में मेरा साहस भी जवाब दे गया और नतीजतन आपकी इस दुनियां से दूरियां बढ़ती गई। जाहिर है आप यह सवाल कर सकते हैं कि '...तो फिर अब क्या लेने आई हो?Ó
जवाव यही है कि मुझे लगा सभी तो एक जैसे नहीं होंगे, कभी तो कोई ऐसे नीरस विषय के लिए भी उत्साहमय वातावरण बनाने को आगे आएगा। कोई तो होगा जो इस मसले पर ऐसे विकलांग ब्लॉग के लिए केवल 'हाय बेचाराÓ बोल कर अगला ब्लॉग तलाशने के लिए आगे बढऩे के बजाय ठिठककर इनकी बात सुनेगा। वास्तव में ऐसे विशेष बच्चे ज्यादा संतुलित व्यवहार का हक रखते हैं, ताकि वे विकलांगता में अपनी जिन्दगी जी सकें।
आम तौर पर एक विकलांग अपने आप में कई विकलांगों का एक समूह होता हैं। सच तो यह है कि विकलांगता केवल विकलांग ही नहीं भोगता। एक सदस्य घर में विकलांग क्या हुआ, सारा परिवार ही विकलांग हो जाता है। पूरा परिवार अपने दुर्भाग्य पर रोता है। बहुत से लोग इस पर अपना व्यवहार भी सामान्य नहीं रख पाते। वे या तो इनकी उपेक्षा करने लगते हैं या फिर ज्यादा लाड़-दुलार कर अन्जाने ही उन्हें भावनात्मक रूप से अधिक लाचार बना जाते हैं। जबकि उन्हें सामान्य और संतुलित व्यवहार की अधिक दरकार होती है।
तो मित्रों नव संवत्सर पर एक बार फिर नई उम्मीदों के साथ आपके बीच आपके बीच यह नीरस विषय लेकर उपस्थित हूं। तुलसीदास जी कह है न - 'धीरज, धर्म, मित्र अरु नारी, आपतकाल परखिए चारी।Ó
इति आपकी 'शुभदाÓ

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