सोमवार, अक्तूबर 08, 2012

तीन दिन तक कांटों में पड़ी रही नवजात

भंवरी की गोद में बच्ची

तुझे सब पता है न माँ ...

तेज बुखार, घाव भरा बदन और आंखों में इंफेक्शन। ऑक्सीजन की कमी से नीला पड़ा शरीर। रोना तो भूल गई, बस कराह रही थी। यह सिहरन दौड़ाने वाला दर्द आठ महीने की नवजात ने तीन दिन तक कांटों में झेला... पता नहीं कैसे?
शुभदा नेटवर्क। झुंझुनूं के गांव ढिगाल की रोही में कैर की झाडिय़ों के बीच फेंकी गई इस बेटी की कराह को बगल से गुजर रहे गांव के जगदीश व निवास ने सुनी। इन्होंने 108 एंबुलेंस को इत्तला दी। फिर बमुश्किल कंटीले कैर की झाडिय़ों से निकालकर अस्पताल पहुंचाया गया। अब यह बेटी बीडीके अस्पताल में जिंदगी के लिए जद्दोजहद कर रही है।
हाव भाव से लग रहा है मां की गोद में जाने की तड़प लगी है। तभी तो ढिगाल गांव की भंवरी ने जब उसे छाती से लगाया तो बच्ची ने पलकें झपकाई। मानो कह रही हो, मुझे यह दर्द क्यों दिया गया? खेत से घास लेकर जा रही भंवरी ने भीड़ देखी और पता चला कि कांटों में मासूम पड़ी है तो वहीं ठहर गई थी। भंवरी ने घास की भरोटी वहीं गिरा दी और मासूम को गोद में ले लिया। पड़ोस से मांगे कपड़े में उसे लपेटा। 108 इमरजेंसी एबुलेंस में बैठकर झुंझुनूं तक अस्पताल में आई।

भंवरी ने सिर्फ  इतना कहा कि वह एक मां है और उसे गर्व है कि नवजात को अस्पताल जिंदा लेकर पहुंची है। इलाज शुरू होने और भर्ती करने के बाद ही भंवरी को चैन आया। बच्ची का इलाज एफबीएनसी वार्ड में चल रहा है। सूचना मिलने पर मुकुंदगढ़ थानाधिकारी मौके पर पहुंचे और जांच शुरू की है।

2-3 दिन से पड़ी थी बच्ची : डॉक्टर
बीडीके अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. बीडी बाजिया ने बताया कि बच्ची का वजन 2.1 किलो है। सांस लेने में थोड़ी दिक्कत है। आंखों में इंफेक्शन के अलावा उसे बुखार है। हाथ-पांव की चमड़ी छिली है। ऑक्सीजन की कमी से हाथ-पांव नीले पड़ गए हैं। इससे लगता है कि शिशु को 2-3 दिन पहले डाला गया है। वह गर्भ में करीब 8 महीने रही है। नाल देखकर लगता है कि डिलीवरी प्रशिक्षित स्टाफ ने कराई है। इसे नवजात गहन शिशु चिकित्सा इकाई में रेडियंट हिट वार्मर ओवरहेड पर रखा गया है।
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