गुरुवार, दिसंबर 04, 2008

बस दस वोट......पर हक़ तो मिला.

आज राजस्थान में ३.६२ करोड़ मतदाताओं में से करीब ६८ प्रतिशत ने मतदान किया। इनमे शुभदा की नजर में आए कम से कम १० वोट ऐसे लोगो के भी हैं, जिन्होंने विमंदित होने के बावजूद अपने वोट के हक़ हांसिल किए। इन विमंदितों के अभिभावकों को अब तक यही पता था कि मंद बुद्धि होने के कारण वे अच्छे या बुरे का विचार करने को आत्मनिर्भर नही हैं। मतदान के लिए अन्य पर निर्भर होने के कारण पहले चुनाव में कुछ मतदान कर्मचारिओं ने इन्हे वोट नहीं डालने दिया था। तब से ये बच्चे (?) १८ साल कि फिजिकल एज होने के बाद भी मताधिकार से वंचित थे।
इस बार भी मतदान वाले दिन कि शुरुआत पहले कि तरह ही हुई थी, लेकिन सुबह से घर में बैठे विमंदित मतदाताओं के लिए कुछ जिद्दी और जुझारू लोगों द्वारा किए गए प्रयासों के बाद दोपहर तक माहौल बदल चुका था।
परिस्थितियां वही पहले के चुनाव जैसी की मतदान के लिए अन्य की सलाह या निर्देश पर निर्भर होने के कारण इन्हे वोट नहीं डालने दिया जा सकता। यह समस्या भी उठाने कर्ण प्रयास हुआ की इन्हें जब किसी मेडिकल बोर्ड ने ही विमंदित या मंदबुद्धि माना है और इसका प्रमाण पत्र भी इनके पास है। प्रमाणपत्र में इनकी आईक्यू भी दर्ज है। ये मतदाता किसी के कहने पर वोट दे रहा है। ऐसे में उसे वोट नही देने दिया जा सकता। मतदान केन्द्र में मौजूद कुछ बुद्धिजीवियों ने भी अपने दिमाग पर जोर देने के बाद मतदान कर्मचारिओं की बात को सही माना और वक्त बर्बाद नहीं करने की सलाह भी दी। इनसे विमंदितों के पक्षधर जिद्दिओं को अलग से जूझना पड़ा।
मामला मतदान कर्मचारिओं से पीठासीन अधिकारी और फ़िर चुनाव पर्वेक्षकों तक पहुँची और पूरा मसला इस एक बात पर हल हो गया की अगर किसी व्यक्ति का नाम मतदाता सूचि में है तो उसे मतदान करने से नही रोका जा सकता फ़िर चाहे उसकी सोच या विचार की क्षमता का स्तर कुछ भी हो।
फ़िर शाम तक विभिन्न केन्द्रों में ऐसे कम से कम दस लोगों ने पूरे अधिकार के साथ वोट डाले। आगामी चुनाव से पहले उन लोगों के नाम भी मतदाता सूची में दर्ज होंगे जो अब तक मतदान से वंचित थे ।
शेष शुभ
"शुभदा"

6 टिप्‍पणियां:

  1. अभी बहुत से हक़ मिलने बाकी हैं, इन लोगों को. बड़ा अच्छा अनुभव कर रहा हूँ यह जानकर कि आप मानसिक मंदता, बहु विकलांगता के क्षेत्र में कल्याणकारी कार्य कर रही हैं. उस गहरी अनुभूति और दृष्ट अनुभव से दो चार हूँ .
    आप मेरे ब्लॉग पर आयीं, टिप्पणी दी , धन्यवाद .

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  2. सटीक व सामयिक लेखन के लिये बधाई स्वीकारें

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  3. जिसका नाम मतदाता सूची में है उन्हे वोट देने का पूरा अधिकार है.. फिर के वोट तो नोट देकर भी खरीदे जाते है.. और कुछ लोग तो अपनी सोच और बुद्धि इसलिए भी ताज देते है क्योंकि प्रत्याशी उनकी जात का होता है.. मेरे ख्याल से सारे ही मतदाताओ को बरगालाया ही जाता है.. फिर इन्हे क्यो वंचित रखा जाए..

    आपने एक नवीन विचार से परिचय कराया है.. आज से पहले इस प्रकार से मैने सोचा नही था

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  4. आपका उठाया मुद्दा वास्तव में विचारणीय है। लेकिन माफ करना शुभदा, और तुम्हीं क्या देश का हर मतदाता मुझे यह बात कहने के लिए माफ करे. सच्चाई तो यह है कि आज के दौर में मताधिकार का प्रयोग करने वाले अधिकांश लोग इसी विमंदिता के साथ मतदान कर रहे हैं। कहां है हमारे पास हमारी चॉइस....

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  5. ये एक नई सूचना है पर दुःख की बात सिर्फ़ एक है की उच्च मध्यम वर्ग के बहुत कम लोग मतदान करने जाते है

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  6. शुभदा जी !मेरे विचार आपको अच्छे लगे इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद !हमारे तो सिर्फ़ विचार ही हैं परन्तु आप तो इन्हें साकार भी कर रहीं हैं !आज आपका पूरा ब्लॉग पढ़ा !आप सचमुच एक सार्थक काम कर रहीं हैं वरना इस आपाधापी के वुग में कौन सोचता है उन लोगों के बारे में जो आभार तक व्यक्त नहीं कर सकते !

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