गोवा की एक शोधकर्ता ने दावा किया है कि पारम्परिक रूप से उत्पादित नमक स्वास्थ्य के लिए अधिक फायदेमंद है।आयोडीन युक्त नमक को लेकर कई शोधकर्ता यह कहते रहे हैं कि प्राकृतिक रूप से उत्पादित नमक में आयोडीन समान मात्रा में नहीं पाया जाता है, लेकिन गोवा विश्वविद्यालय की सविता केरकर इससे असहमत हैं।सविता ने कहा, “मैं गोवा में पिछले तीन वर्षों से पारम्परिक रूप बनाए जा रहे नमक पर अध्ययन कर चुकी हूं।” मैंने राज्य में नमक के 150 नमक की खदानों से नमूनों का संग्रह कर प्रयोगशाला में इनका परीक्षण किया। पारम्परिक नमक भी समान रूप से प्राकृतिक आयोडीन से भरपूर होता है।”प्राकृतिक नमक स्वास्थ्य के लिए जरूरी खनिज तत्वों से भरपूर है जबकि शोधित नमक में इन तत्वों की मात्रा बहुत कम पाई जाती है।केरकर का अध्ययन गोवा में पारम्परिक रूप से उत्पादित नमक तक ही सीमित है, लेकिन उनका मानना है कि भारत के अन्य हिस्सों के प्राकृतिक नमक में भी यह स्वास्थ्यवर्धक तत्व मौजूद हैं। भारत प्रति वर्ष लगभग एक करोड़ टन नमक का उत्पादन करता है जिसमें गुजरात का सर्वाधिक योगदान है। अन्य प्रमुख नमक उत्पादक राज्यों में तमिलनाडु एवं राजस्थान शामिल हैं।
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जानकारी से भरा लेख ...अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंअनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
अच्छी जानकारी मिली.....आभार।
जवाब देंहटाएं'स्वदेशी जागरण मंच" और "आजादी बचाओ आंदोलन" कब से कहते आ रहे हैं कि मानव को आयोडीन की जितनी जरूरत है वह बहुत ही कम है और वह सभी नमकों में मिल सकती है। इसके अतिरिक्त आयोडीन के प्राप्ति के अन्य साधन भी हैं।
जवाब देंहटाएंसमस्या यह है कि सरकार के सहयोग से नमक बेचने वाले टीवी पर दुष्प्रचार करके लोगों के मन में डर और भ्रान्ति पैदा कर रहे हैं|
Namak ke bare main aachi jaankari di hai.......
जवाब देंहटाएंआयोडीन नमक वस्तुत्: धोखा है। देश के सबसे बडे कुटीर उद्योग को नष्ट कर दिया गया है। सरकार ने घुटने टेक दिए हैं। एक और दाण्डी यात्रा की स्थितियां बनी हुई हैं।
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