राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के मुताबिक देश की कम से कम 51 प्रतिशत महिलाओं पर गर्भावस्था और प्रसव के दौरान पर्याप्त ध्यान नहीं रखा जाता। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 3 की अंतिम रिपोर्ट के मुताबिक केवल 49 प्रतिशत महिलाएं किसी स्वास्थ्यकर्मी की देख-रेख में बच्चे को जन्म देती हैं। यह सर्वे स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कराया गया है।
सर्वे के मुताबिक 1999 की तुलना में स्वास्थ्यकर्मियों की उपस्थिति में प्रसव सम्पन्न कराने के प्रतिशत में सात प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। महिलाओं के प्रसव को लेकर ग्रामीण और शहरी इलाकों में काफी अंतर पाया गया है। जहां शहरी इलाकों में 75 प्रतिशत महिलाएं प्रसव के दौरान चिकित्साकर्मी की सहायता लेती है, वहीं ग्रामीण इलाकों में केवल 39 प्रतिशत महिलाएं ही चिकित्साकर्मियों की उपस्थिति में बच्चे को जन्म देती हैं। अस्पताल में बच्चा पैदा होने की दर में 1999 के 34 प्रतिशत की तुलना में सात प्रतिशत की वृद्घि हुई है। 2006 में अस्पतालों में जन्म लेने वाले बच्चों का प्रतिशत 41 था। लेकिन अभी भी अधिकतर महिलाएं अपने बच्चे को जन्म घर पर ही देती हैं। केवल एक-तिहाई महिलाएं प्रसव के दो दिन के भीतर जरूरी चीजें प्राप्त कर पाती हैं। सर्वेक्षण में यह भी पाया गया है कि भारत की गर्भवती महिलाओं की तीन-चौथाई से अधिक को कम से कम प्रसव से पहले कुछ जरूरी चीजें मिलती हैं, लेकिन इनमें से केवल आधी महिलाएं ही प्रसवपूर्व चिकित्सा केंद्र में तीन बार जाती हैं।
चकित करने वाले तथ्य!
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